आप सभी को नमस्कार। आज हम आपको हनुमान जी के जीवन, उनकी अपार शक्ति, उनकी भक्ति और उनके संदेशों पर एक विशेष रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं। इस रिपोर्ट की शुरुआत में हम यह सवाल उठाते हैं: क्या हनुमान जी सिर्फ एक पौराणिक देवता हैं या आज के युग में उनकी शिक्षाएँ हमें जीवन में मार्ग दिखाती हैं?
इस लेख को तैयार करने से पहले, हमने प्रमुख पुराण, रामायण एवं आधुनिक समीक्षाएँ ध्यानपूर्वक अध्ययन की हैं। जैसे “The Story of Hanuman” में उनके गुणों का वर्णन मिलता है, जैसे भक्ति, शक्ति, बुद्धि, सेवा आदि ; साथ ही हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने हनुमान की भक्ति के गुणों पर प्रकाश डाला है ।
आइए अब क्रमबद्ध रूप से देखें — हनुमान जी कौन थे, उनकी कथाएँ, गुण, जीवन से मिलने वाली सीखें और आज के युग में उनसे क्या प्रेरणा ले सकते हैं।
हनुमान जी, जिन्हें मारुति, बजरंगबली, अंजनेय आदि नामों से जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक प्रसिद्ध देवता हैं।
माता-पिता एवं अवतार कथा
हनुमान जी की माता का नाम अंजना था और पिता को केसरी (वनर राज) माना जाता है।
साथ ही, उन्हें पवनपुत्र (वायु देव के पुत्र) माना जाता है — यह कथा बताती है कि वायुदेव ने दिव्य ऊर्जा अंजना के गर्भ में संचारित की।
बाल्य और चमत्कार
बचपन में हनुमान जी की अद्भुत ऊर्जा के कारण वे सूर्य को मीठे फल समझकर पकड़ने आकाश की ओर भागे।
इस घटना में भगवान इंद्र ने उनका जबड़ा वज्र से मारा, जिससे उनका हनु (जबड़ा) प्रभावित हुआ — यही कारण है कि उनके नाम “हनुमान” (हनु + मानव) बनाए गए।
इन प्रारंभिक कथाओं से हमें दिखता है कि हनुमान जी की शक्ति और दिव्यता बचपन से ही थी, लेकिन उन्हें समझने और इस्तेमाल करने की क्षमता धीरे-धीरे विकसित हुई।
हनुमान जी की महान कथाएँ रामायण से गहरी जुड़ी हैं।
राम और सीता की खोज
जब रावण ने माता सीता का हरण किया, राम और लक्ष्मण ने उनकी खोज की। उस समय हनुमान जी से मुलाकात हुई।
हनुमान जी ने उनकी सेवा करने का वचन दिया और लंका भेजे गए, जहाँ उन्होंने सीता माता से संवाद किया और राम को संदेश दिया।
संजिवनी पर्वत लाना
युद्ध में लक्ष्मण जी घायल हुए। किसी जड़ी-बूटी (संजिवनी) की आवश्यकता पड़ी। हनुमान जी पर्वत उठा कर लंका लाए।
चूंकि वे जड़ी-बूटी की पहचान नहीं कर पाए, उन्होंने पूरा पर्वत ही ले आए। यह उनकी शक्ति और भक्ति का प्रतीक बन गया।
लंका दहन
हनुमान जी ने अपनी पूँछ में आग लगाकर लंका को जलाया — यह एक प्रतीक है बुराई के अंत का।
मुक्ति और विजय में योगदान
अंततः राम और उनकी सेना ने रावण का वध किया और माता सीता को मुक्त कराया। इस पूरी लड़ाई में हनुमान जी ने निर्णय, शक्ति, बुद्धि और सेवा से योगदान दिया।
इन कथाओं की वजह से हनुमान जी को “विघ्नहर्ता” (बाधा-हरने वाला), “संकट मोचन” नाम से भी पूजा जाता है।
हनुमान जी सिर्फ वीरता और शक्ति का प्रतीक नहीं हैं — वे अनेक दिव्य गुणों और सिद्धियों के धनी हैं।
भक्ति और निष्ठा
हनुमान की भक्ति अटल थी। उन्होंने राम के प्रति समर्पित रहते हुए, अपनी शक्ति का उपयोग उनके कार्यों में किया।
एक प्रसिद्ध कथा है कि उन्होंने सीता जी द्वारा दिया गया हार तोड़ दिया क्योंकि उसमें राम का नाम नहीं था — यह दिखाता है कि उनके लिए राम ही सर्वोच्च थे।
चातुर्य (बुद्धि) और अनुकूलन
हनुमान जी हर परिस्थिति में अनुकूलन करते थे। जैसे, जब दुर्बल मार्ग से गुजरना था, तो उन्होंने आकार छोटा किया; जब बाधा हो, आकार बड़ा किया।
आठ सिद्धियाँ (Ashtasiddhi)
कुछ ग्रन्थों के अनुसार, हनुमान जी को आठ महान सिद्धियाँ प्राप्त थीं — जैसे अनिमा (सूक्ष्म होना), महिमा (विशाल होना), लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वासीत्व, कामावश्यता इत्यादि।
आत्मिक बुद्धि व संयम
उन्होंने अपना अहंकार और वासना प