महाराष्ट्र के सम्भाजीनगर (औरंगाबाद) स्थित Gopika Jewellery में एक साधारण दिखने वाला वृद्ध दंपति आया। पति अपनी 93 वर्षीय पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदना चाहता था, लेकिन उसके पास सिर्फ ₹1,120 रुपये नकद और कुछ सिक्कों का छोटा-सा बटुआ था।
उन्होंने धीरे-धीरे 500 रुपये का नोट, फिर 10–20 रुपये के कई नोट और अंत में सिक्कों से भरा बैग खोला। इस भावनात्मक दृश्य को देखकर शोरूम के मैनेजर उनके पास आए और पूरी कहानी जाननी चाही।
दंपति की प्यार भरी कहानी जानकर भावुक हो गए मैनेजर। उन्होंने बिना किसी सवाल के उन्हें एक सुंदर सोने का हार और कर्णफूल (कान की चूड़ियाँ) भेंट में दीं। साथ ही, उन्होंने वृद्ध को खुद से वह तोहफा अपनी पत्नी को देने को कहा।
लेकिन, इतने बड़े गहनों लेने के बावजूद दंपति मैनेजर से कुछ रुपए देकर सम्मान बचाना चाहते थे। आत्मसम्मान मजबूत था—यह जीवन भर की शिक्षा थी। जब मैनेजर ने मना किया, तो वृद्ध ने जिद करके दो दस-रुपये के नोट थमाए और सम्मान से हटने को तैयार रहे।
तभी वृद्ध की आँखें नम हुईं, पत्नी भी भावनाओं से अभिभूत हो गयीं। वीडियो में वह अद्भुत क्षण साफ दिखाई देता है—उनकी आँखों की चमक, विश्वास और स्नेह।
यह दृश्य सिर्फ एक उपहार नहीं, बल्कि एक ऐसे पल की याद है जो उनके जीवन की “सबसे कीमती” स्मृति बन गया।
आत्मसम्मान हमारे जीवन की अनमोल पूंजी है।
प्यार और त्याग उम्र की पिल्लो के साथ और भी गहराते हैं।
मानवता व सहानुभूति आज भी जीवित हैं हमारे आसपास।
उपहार कीमती सामान से नहीं, दिल से दिया जाता है।
यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ—आपसी सम्मान और अपनत्व की ताक़त ने लोगों की दिलों को छू लिया । साथ ही जीवन की मुश्किल भरी राह यात्राओं के बीच भी इंसानियत का प्रकाश बना रहता है।
https://www.youtube.com/@gopikajewellerysambhajinagar
Gopika Jewellery Sambhajinagar (Youtube Short) Refeance (यह वीडियो YouTube पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और इसके सभी अधिकार मूल निर्माता के पास सुरक्षित हैं। यह केवल जानकारी के उद्देश्य से यहां साझा किया गया है।)
https://www.youtube.com/watch?v=Q5d17T8Ht2I